संगीत एवं रस

0

संगीत-एवं-रस

 संगीत एवं रस 


"ललित कलाओं का सूजन सौन्दर्य हेतु, प्रस्तुतीकरण सौन्दर्यपूर्ण और उपलब्धि सौन्दर्यानुभूति है" यह कथन सही है। सौन्दर्य का परिणाम है आनन्द, अतः कला के तत्वों में एक तत्व है सौन्दर्य, और सौन्दर्य के तत्वों में एक है आनन्द । अतः कला तथा आनन्द का महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। सौन्दर्य केवल केन्द्रिय न हो, वरन् वह आत्मिक आनन्द प्रदान करे । यही आत्मिक आनन्द साहित्य की भाषा में रस है । रस शब्द का प्रयोग परम सौन्दर्यानुभूति के सन्दर्भ में किया गया है। तैत्तरीय उपनिषद में कहा गया है कि 'रसोह्य वायं लब्ध्वाऽऽनंदी भवति ।।' कला का प्राण रस है और कला का लक्ष्य रसानुभूति । कलाकार अपनी कृति में अपने भावों को मूर्त रूप देकर व्यक्त करता है, वे ही भाव रस रूप में संचरित होकर दृष्टा अथवा श्रोता को आनन्द प्रदान करते हैं। संगीत में रसानुभूति किस प्रकार तथा किन-किन माध्यमों से होती है, यह जानने से पहले हमें रस के बारे में प्रमुख प्रमुख बातें जान लेनी चाहिए। रस क्या है, इसका भाव से क्या सम्बन्ध है, रस कितने हैं और इन रसों की निष्पत्ति किस प्रकार संभव है? आदि के बारे में संक्षिप्त जानकारी होना आवश्यक है। अतः हम यहां पहले रस के सम्बन्ध में चर्चा करेंगे ।


रस


'रस' की सर्वप्रथम तथा सर्वाधिक चर्चा संस्कृत ग्रन्थों तथा साहित्य में की गई है। संस्कृत साहित्य व रस विचार को भिन्न भिन्न करके देखा नहीं जा सकता है। भरत के पूर्व भी भारतवर्ष में रस चर्चा अवश्य हुई होगी, परन्तु प्राप्त ग्रन्थों में, प्रथम, यथार्थ तथा समर्थ विवेचन भरत के नाट्य-शास्त्र में मिलता है। उनके द्वारा प्रतिपादित रस सिद्धांत ही संस्कृत साहित्य में अमर हुआ है। नाट्य-शास्त्र के 6 तथा 7 अध्याय में रसों, भावों, विभावों, अनुभावों तथा संचारियों पर विचार हुआ है। भरत का ग्रन्थ यद्यपि मूल रूप में नाटक के संदर्भ में है इसलिए उन्होंने रसचर्चा नाट्य की पृष्ठभूमिसिद्धान्त ही काव्य, साहित्य (नाटक, कहानी), संगीत आदि अन्य कलाओं पर लागू किया जाता है। भरत ने कहा है कि यदि किसी वाक्य को काव्य कहलाना हो तो उसे रसपूर्ण बन जाना चाहिए, अर्थात् रस काव्य की आवश्यक दशा है ।


        भरत ने अपने नाट्य-शास्त्र के 6 अध्याय के 17वें श्लोक में लिखा है, "एते ह्यष्टोरसाः प्रौक्ता द्रहिणेन् महात्मा ।" इसी पूर्वपरिपाटी के आधार पर भरत ने 8 रस, 8 उसके स्थायी भाव, 33 व्यभिचारी भाव और 8 सात्विक भाव, इस प्रकार कुल 49 भावों की सूचि दी है।


संगीत जगत ई-जर्नल आपके लिए ऐसी कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ लेके आ रहा है। हमसे फ्री में जुड़ने के लिए नीचे दिए गए सोशल मीडिया बटन पर क्लिक करके अभी जॉईन कीजिए।

संगीत की हर परीक्षा में आनेवाले महत्वपूर्ण विषयोंका विस्तृत विवेचन
WhatsApp GroupJoin Now
Telegram GroupJoin Now
Please Follow on FacebookFacebook
Please Follow on InstagramInstagram
Please Subscribe on YouTubeYouTube

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top