कला का अर्थ : भाग २

0

कला-की-परिभाषा

कला का अर्थ 

भाग २

 कला की परिभाषा - 


             कला की अनेक विद्वानों ने अपने दृष्टिकोण से विवेचना की। समय - समय पर कला के प्रयोजन बदले और उसी आधार पर विचारकों ने कला की परिभाषा की। कुछ विचारक कलावादी हैं जो 'कला को कला के लिए' मानते हैं। ये विचारक कला में सौन्दर्य को विशेष महत्त्व देते हैं, उसकी उपयोगिता व नैतिकता को नहीं। दूसरी ओर कुछ विचारक कला की उपयोगिता को महत्त्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि उनके विचारानुसार 'कला जीवन के लिए' है। कुछ मनोवैज्ञानिक विचारकों ने कला का विश्लेषण मनो-वैज्ञानिक पृष्ठभूमि में किया। इन सभी प्रकार के विचारकों की कुछ परि-भाषाएँ निम्न है -


ब्लैटो - "कला सत्य की अनुकृति है।"

अरस्तू के अनुसार - "कला प्रकृति है और इसमें कल्पना भी है।"

अरस्तु का मत प्लैटो से अधिक सार्थक है। व्यक्ति कला में प्रकृति का अनुसरण करता है, अभिव्यक्ति द्वारा उसे पुनः सृजित करता है। इस सृजन में वह कल्पना द्वारा नवीनता भी पैदा करता है।

क्रोचे ने कहा - "अभिव्यक्ति ही कला है।"

मैथिली शरण गुप्त के शब्दों में- "अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही कला है।"

मैथिली शरण गुप्त ने कुशल शक्ति शब्द का प्रयोग कला के सन्दर्भ में सही किया है। अभिव्यक्ति में कुशलता, सुन्दरता होगी तभी वह कला की श्रेणी में आएगी।

महात्मा गाँधी ने कला की परिभाषा उसकी उपयोगिता के महत्त्व को ध्यान में रखकर की। उनके अनुसार-कला से जीवन का महत्त्व है। यदि कला जीवन को सुमार्ग पर न लाए तो वह कला क्या हुई ।"

टाल्सटाय के शब्दों में- "कला समभाव के प्रचार द्वारा विश्व को एक करने का साधन है।" 

आचार्य शुक्ल - "एक अनुभूति को दूसरे तक पहुंचाना ही कला है।" 

            जहाँ गाँधीजी, टाल्सटाय आदि विचारकों ने कला को इतना श्रेष्ठ साधन माना, वहाँ कुछ विचारकों ने कला की नैतिकता तथा उपयोगिता को पूर्ण रूप से नकारा ।

इलाचंद्र के अनुसार "विश्व की अनन्त सृष्टि की तरह कला भी आनन्द का प्रकाश है। उसमें नीति तत्त्व अथवा शिक्षा का स्थान नहीं। उच्च अंग की कला में इनमें से किसी तत्त्व की खोज करना, सौन्दर्य देवी के मन्दिर को कलुषित करना है।"

             उक्त परिभाषा में सच्चाई का कुछ अंश अवश्य है। मिस्र के पिरामिड, बीबी का मकबरा, ताजमहल आदि इसी प्रकार की कलाकृतियां हैं। ये सभी कब्र हैं और इनकी कोई अन्य उपयोगिता नहीं है सिवाय इसके कि ये सौंदर्य के उत्कृष्ट नमूने हैं। परन्तु कुछ अपवादों के कारण कला की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता ।

हरवर्ट स्पेंसर - "कला अतिरिक्त शक्ति का प्रसार व खेल की मूल प्रवृत्ति का फल है।"

फ्रायड के शब्दों में- "अतृप्त इच्छाओं तथा वासनाओं का प्रदर्शन कला है।"

एक अन्य विद्वान - "रेखाओं, रंगों, शब्दों, ध्वनियों व गतियों के माध्यम से मनुष्य के मनोगत भावों की बरह्याभिव्यक्ति ही कला है।"

              उपरोक्त तीनों परिभाषाओं से ज्ञात होता है कि कला की जड़े मनोभावों में हैं तथा फल अभिव्यक्ति में। ये भाव कुण्ठा, अतृप्त इच्छा भी हो सकती है तो उपासना, भक्ति, सेवा आदि भी । प्रसाद जी के अनुसार "ईश्वर की कर्तृत्व शक्ति का जो संकुचित रूप मनुष्य को मिलता है, उसी का विकास कलर है। अर्थात् ईश्वर की कला है प्रकृति | प्रकृति सदा से कलाकार की सहचरी रही है। वह साज-संभाल द्वारा उसे मनोनुकूल बना लेता है, जबकि विज्ञान प्रकृति को उपास्य से परिचारिका बना लेता है। कला इतनी सहज हो कि प्रकृति के निकट हो । उपर्युक्त सभी परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् हम कला कों तीन रूपों में स्वीकार कर सकते हैं:-

( 1) मौलिक चित्त अनुभूति

(2) शिल्प अथवा तकनीक

(3) अभिव्यक्ति

          कलाकार मौलिक सत्-चित्-आनन्द की अनुभूति को प्राप्त ज्ञान के अनुसार अपनी सीमाओं के अन्तर्गत सम्पूर्ण शिल्प-विधान द्वारा अभिव्यक्त करता है तथा दृष्टा व श्रोता को उसकी अनुभूति कराता है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया ही कला है। कला को श्रेयस् (कल्याणकारी) तथा प्रेयस् (प्रिय लगना) दोनों से युक्त होना चाहिए । कला केवल मस्तिष्क अथवा बुद्धि का व्यायाम नहीं है, वरन् स्वतः स्फूर्त व हृदयगत भावों से सम्बद्ध है। यही कारण है कि कलाकार कला में डूब जाता है और कुछ समय के लिए आत्म-विस्मृति की स्थिति में पहुंच जाता है।


संगीत जगत ई-जर्नल आपके लिए ऐसी कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ लेके आ रहा है। हमसे फ्री में जुड़ने के लिए नीचे दिए गए सोशल मीडिया बटन पर क्लिक करके अभी जॉईन कीजिए।

संगीत की हर परीक्षा में आनेवाले महत्वपूर्ण विषयोंका विस्तृत विवेचन
WhatsApp GroupJoin Now
Telegram GroupJoin Now
Please Follow on FacebookFacebook
Please Follow on InstagramInstagram
Please Subscribe on YouTubeYouTube

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top