तबला पखवाज के वर्णों की निकास विधि

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तबला-वर्ण

तबला पखवाज के वर्णों की निकास विधि 


1) तिरकिट : हाथ की कनिष्ठा, अनामिका तथा मध्यमा एकसाथ जोड़कर तबले के स्याही के बीचोबीच बंद तथा जोरदार (वजनदार) आघात से 'ती' बजेगा। दूसरे तरीके से दाहिने हाथ की मध्यमा से तबले के स्याही के बीचोबीच बंद तथा जोरदार (वजनदार) आघात करने से भी 'ती' बजाते हैं। ये तीनों उँगलियाँ उठाकर तर्जनी से तबले के स्याही के बीचोबीच आघात करने से 'र' बजेगा। बायें हाथ की हथेली का पिछला भाग डग्गे के मैदान पर रखकर हाथ की सभी उँगलियाँ जोड़कर हथेली से डग्गे की स्याही पर बंद आघात या 'थाप' बजाने से 'कि' बजेगा। 'कि' बजाते समय तबले पर दाहिना हाथ ऊपर उठा लिया जायेगा। बाद में दाहिने हाथ से तबले पर कनिष्ठा, अनामिका तथा मध्यमा जोड़कर तबले के स्याही के बीचोबीच आघात करने से 'ट' बजेगा। इस प्रकार ये चारों वर्ण क्रमवार बजने पर तिरकिट यह संयुक्त वर्ण बजेगा ।


2) 'तक्डां': दाहिने हाथ की तीनों उँगलियाँ (कनिष्ठा, अनामिका, मध्यमा) जोड़कर तबले की स्याही पर बंद आघात करने से 'त' बजेगा, तथा बायें हाथ की सभी उँगलियाँ जोड़कर डग्गे की स्याही पर थाप बजाकर तुरन्त तबले पर दाहिने हाथ की तर्जनी से तबले की चाँट या किनार पर आघात करने से क्डाँ' बजेगा। इस प्रकार क्रमवार बजाने पर 'तक्डां' यह संयुक्त वर्ण बजेगा ।


3) 'कडधा : बायें हाथ की सभी उँगलियाँ जोड़कर डग्गे के स्याही पर 'थाप' बजाने पर 'क' बजेगा । तुरन्त ही दाहिने हाथ की तीन उँगलियाँ (कनिष्ठा, अनामिका, मध्यमा) जोड़कर तबले की स्याही पर बंद आघात से 'ड' बजेगा। इस प्रकार 'क्ड' तथा 'धा' के लिये दाहिने हाथ की तर्जनी से चाँट पर आघात तथा उसी समय डग्गे पर 'घे' बजाने से 'धा' बजेगा। इस प्रकार 'क्डधा' यह संयुक्त वर्ण बजेगा ।


4) किटतक: बायें हाथ की सभी उँगलियाँ जोड़कर डग्गे के स्याही पर 'थाप' बजाने से 'कि' बजेगा। दाहिने हाथ की तीन उँगलियाँ (कनिष्ठा, अनामिका, मध्यमा) जोड़कर तबले की स्याही पर बंद आघात करने से 'ट' बजेगा। दाहिने हाथ की तर्जनी से तबले की स्याही के बीचोबीच आघात करने से 'त' बजेगा। बायें हाथ की सभी उँगलियाँ जोड़कर डग्गे के स्याही पर 'थाप' बजाने से 'क' बजेगा। इस प्रकार क्रमवार सभी वर्ण बजाने से 'किटतक' बजेगा ।


5) घिड़नग: बायें हाथ के मध्यमा तथा अनामिका को अर्धगोलाकार में रखकर डग्गे के लव पर बंद आघात से 'घि' बजेगा। दाये हाथ की तीन उँगलियाँ (कनिष्ठा, अनामिका, मध्यमा) को मिलाकर तबले की स्याही पर बंद आघात से 'ड' बजेगा। तबले की किनार(चाँटी) पर तर्जनी से डग्गे से आघात पर उँगली तुरन्त उठाने से 'न' बजेगा । बाये हाथ की तर्जनी से डग्गे की लवपर आघात करने से 'ग' बजेगा। इसप्रकार क्रमवार आघात से 'धिडनग' बजेगा ।


6) धिरधिर : दायें हाथ की सभी उँगलियाँ जोड़कर पंजे के दायें ओर से आघात तथा उसी समय बायें पर 'घ' बजाने से 'घि' बजेगा। उसी पंजे के बायें ओर से आघात करने से 'र' बजेगा । इस प्रकार 'धिर' बजेगा। इसी क्रम को दुबारा बजाने से 'धिरधिर' बजेगा।


7) त्रक : दायें हाथ की तीन उँगलियाँ (तर्जनी, मध्यमा, अनामिका) को एक के बाद एक उँगली तुरंत बजाने पर 'त्र' तथा बायें पर थाप बजाने से 'क' इस प्रकार 'त्रक' बजेगा।


8) कडधान/किड़धान : क्ड बजाने के लिये बायें हाथ से थाप तथा दायें हाथ की तीन उँगलियाँ (मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा) को जोड़कर तबले के स्याही पर बंद आघात करने से क्ड बजेगा। तबले के किनार पर तर्जनी से आघात तथा उसी समय बायें हाथ से 'घ' बजाने से 'धा' बजेगा, दाँये हाथ की तीन उँगलियाँ (मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा) जोड़कर तबले के स्याही पर बंद आघात से 'न' इस प्रकार क्रमवार वादन से क्डधान या किडधान बजाया जा सकता है।


९) गदीगन: बायें हाथ को अर्धगोलाकार रुप में रखकर मध्यमा तथा अनामिका से डग्गे की लव पर आघात से 'ग' तथा दायें हाथ की सभी उँगलिया जोड़कर तबले की स्याही पर खुला आघात करने से 'दी', बाये हाथ के सभी उँगलियां मिलाकर डग्गे पर बंध आघात करने से 'ग' बजेगा । दायें हाथ की तीन उँगलियाँ (मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा) जोडकर तबले के स्याही पर बंद आघात से 'न' इस प्रकार क्रमवार वादन से 'गदीगन' बजेगा ।


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