उत्तर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और दक्षिण हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में समानता और भेद
समानता
१. दोनों पद्धतियों में ही शुद्ध व विकृत मिलकर कुल 12 स्वर स्थान है ।
२. दोनों पद्धतियों में ही उपरोक्त 12 स्वर से थॉट उत्पत्ति होकर राग गाये बजाए जाते हैं।
3. दोनों पद्धतियों में आलाप गायन स्वीकार किया गया है ।
४. दोनों में ही एवं तानों के साथ चीजें गाई जाती है ।
५. राग थाट का सिद्धांत दोनों में स्वीकार किया गया है ।
भेद
१. दोनों में १२ स्वर स्थान मानें गए है, किंतु दोनों के स्वर तथा नामों में अंतर है ।
२. उत्तर संगीत पद्धति में केवल १० थाटों से राग निर्मित हुई है परंतु दक्षिण में ७२ थाट का प्रमाण मिलता है ।
३. दक्षिण पद्धति में चीज कानड़ी, तेलगु, तमिल इत्यादि भाषाओं में होती है, उत्तर पद्धति में हिंदी, उर्दू, पंजाबी, मारवाड़ी आदि भाषाओं में होती है ।
४. दोनों पद्धतियों के ताल भिन्न होते है ।
५. दोनों संगीत पद्धति मैं स्वर उच्चारण एवं आवाज निकालने की शैलियां भिन्न होती है ।