ई. क्लेमेन्टस
यह I.C.S. अधिकारी थे, एवं डिस्टिक कलेक्टर के पद त पर कार्यरत थे। वे मूलत: इंग्लैण्ड के नागरिक थे, एवं अंग्रेजी शासनकाल में भारतवर्ष में नियुक्त थे। वे पाश्चात्य संगीत के मर्मज्ञ थे, और भारतीय संगीत में रुचि रखते थे। इन्होंने भारतीय संगीत के स्वरशास्त्र का अध्ययन करके सन् 1912 ई. में एक पुस्तक लिखी जिसका शीर्षक था- 'Introduction to the Study of Indian Music. ' श्रुति संबंधी इनकी धारणा से पं. भातखंडेजी सहमत नहीं थे। इन्होंने श्रुति और स्वर सम्बन्धी चर्चा में प्रोफेसर खरे, प्रो. को. डो पन्तछत्रे, उ. अब्दुल करीम खां, श्री देवल आदि का सहयोग लिया था। इन्होंने बड़ौदा में पं. भातखंडेजी द्वारा आयोजित संगीत सम्मेलन में स्वयं उपस्थित होकर स्वनिर्मित श्रुति-हारमोनियम पर श्रुतियों का प्रदर्शन किया, किन्तु उनके द्वारा निर्मित श्रुति हारमोनियम को अब्दुल करीम खां सहित अन्य भारतीय संगीतज्ञों ने स्वीकार नहीं किया।
जब वे सन् 1930 ई. में अहमदाबाद के कलेक्टर थे तब इन्होंने Fill Harmonik Society में एक संगीत परिषद का आयोजन किया। इनके द्वारा सन् 1912 में लिखित पुस्तक "Introduction to the Study of Indian Music" को पांच अध्यायों में बांटा गया है। इस पुस्तक का प्राक्कथन (Foreward) सुप्रसिद्ध विद्वान् आनन्द कुमार स्वामी ने लिखा था। इस पुस्तक के प्रथम अध्याय में वर्तमानकालीन हिन्दुस्तानी संगीत की श्रुतियों पर चर्चा की गयी है। द्वितीय तथा तृतीय अध्याय के अंतर्गत पाश्चात्य स्वरलिपि पद्धत्ति एवं भारतीय श्रुतियों पर चर्चा की गयी है। चतुर्थ अध्याय के अंतर्गत भारतीयसंगीत के प्राचीनकालीन ग्रन्थों का वर्णन किया गया है। - पांचवें अध्याय में क्लेमेन्टस ने भारतीय संगीत की प्रमुख - विशेषताओं का वर्णन किया है।