घराना निर्मिती और ग्वाल्हेर घराना
घराना के निर्माण में सहायक विभिन्न कारण
घराना के निर्माण में सहायक विभिन्न कारण निम्नलिखित हैं-
1. मुसलमानों के आगमन के कारण दरबारी संगीतज्ञों एवं दरबार से बाहर के संगीतज्ञों का दो वर्ग उभर कर सामने आया। पहला वर्ग “संगीतजीवी” तथा दूसरा वर्ग “संगीतोपासक” बना। विभिन्न राज्यों में संगीतजीवी वर्ग द्वारा विकसित संगीत में गान शैलियों की विविधता के कारण विभिन्न घराने बने ।
2. मुसलमान गायक हिन्दू साहित्य, संस्कृति एवं भाषा को समझ पाने में असमर्थ थे, फलस्वरूप उन्होंने स्वर-प्रधान गायिका को प्रमुखता और नवीन गायकियों की रचना के साथ घरानों का जन्म हुआ।
3. अशिक्षित कलाकारों की मनोवृति संकीर्ण भी हो सकती है, क्योंकि गुरु अपने शिष्यों को मौखिक शिक्षा देता था तथा शिष्य दूसरे किसी गुरु की विद्या सीखना तो क्या सुनना भी पसंद नहीं करता था। इस प्रकार अशिक्षित कलाकारों की संकीर्ण मनोवृत्ति के फलस्वरूप संगीत के क्षेत्र में घरानों की नींव पड़ गई।
4. एक अन्य कारण उस समय के यातायात के साधनों में कमी हो सकती है। एक स्थान पर एक गुरु के अनेक शिष्य, फिर इन शिष्यों के भी आगे कई शिष्य।
इस प्रकार से एक वर्ग के रूप में एक ही गायकी से प्रभावित होने के कारण घरानों का जन्म हो गया।
ग्वालियर घराने की गायकी की विशेषताएँ
1. ग्वालियर घराने की ख्याल गायकी में ध्रुपद के बोल्वांट जैसी तानें, मध्य विलंबित लय तथा धृपद जैसे विविध लयों का प्रयोग स्पष्ट दिखाई देता है।
2. इस घराने की ख्याल गायकी में मुख्य विशेषता यह है कि राग को प्रारंभ करते समय आरंभिक स्वर खुली बुलन्द आवाज तथा जोरदार लगाया जाता है।
3. इस घराने की गायकी में मध्य विलंबित लय का प्रयोग किया जाता है। लय न तो अति विलंबित हो तथा न ही अति द्रुत।
4. ग्वालियर घराने के ख्याल की एक विशेषता यह भी है कि ख्याल गाने का प्रचार अधिकतर एकताल, झूमरा, तिलवाड़ा व आड़ा चारताल में हुआ है।
5. इस घराने में टप्पा अंग के ख्याल भी गाये जाते हैं, साथ ही जयदेव कृत "गीत गोविन्द" की अष्टपादियों को भी इस घराने के ख्याल गायक भली प्रकार गाते हैं।ग्वालियर की गायकी भाव-प्रधान गायकी है जो अतिधीर, गम्भीर, डोलदार एवं सौन्दर्ययुक्त है।