लोक संगीत की भारतीय समाज में भूमिका और उसका प्रभाव

0

 


लोक संगीत की भारतीय समाज में भूमिका और उसका प्रभाव

लोक संगीत भारतीय समाज की आत्मा है, जो देश की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए है। यह संगीत न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं—जैसे परंपराओं, रीति-रिवाजों, और सांस्कृतिक धरोहरों—का वाहक भी है। भारतीय लोक संगीत का समाज पर गहरा प्रभाव रहा है, और यह विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।


1. सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

लोक संगीत भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों की विशिष्टताओं को यह संगीत अभिव्यक्त करता है, जैसे राजस्थान का "मांगणियार", बंगाल का "बाउल", महाराष्ट्र का "लावणी", और पंजाब का "गिद्धा"। यह न केवल संगीत का माध्यम है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियों को भी संजोकर रखने का जरिया है।


2. समुदायिक एकता और पहचान

लोक संगीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने का काम करता है। गाँवों और छोटे कस्बों में लोक संगीत ने समुदायिक आयोजनों और उत्सवों में अपनी जगह बनाई है, जहाँ लोग एकजुट होकर इसका आनंद लेते हैं। यह संगीत विभिन्न समुदायों को एक पहचान भी प्रदान करता है, जैसे "भांगड़ा" को पंजाबियों की पहचान के रूप में देखा जाता है।


3. आध्यात्मिकता और धार्मिकता

भारत में कई प्रकार के लोक संगीत धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी जुड़े हुए हैं। व्रत, पूजा, उत्सवों और धार्मिक अवसरों पर गाए जाने वाले भक्ति गीत या जागरण गीत लोगों को अध्यात्म और ईश्वर के साथ जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, "कबीर के भजन" और "मीराबाई के गीत" धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण को प्रोत्साहित करते हैं।


4. प्रकृति और कृषि से संबंध

लोक संगीत का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह प्रकृति और कृषि से गहराई से जुड़ा हुआ है। खेती-किसानी के समय गाए जाने वाले गीत, जैसे "पंजाब का माहीया" या "गुजरात का गरबा", न केवल किसानों के कड़े परिश्रम को मान्यता देते हैं, बल्कि उनके जीवन में खुशी और ऊर्जा भी लाते हैं।


5. समाज सुधार और संदेश

लोक संगीत समाज में सुधार लाने और जागरूकता फैलाने का भी एक शक्तिशाली माध्यम है। कई बार लोक संगीत का उपयोग सामाजिक संदेश देने, जैसे पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, स्वच्छता, और महिला सशक्तिकरण के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, मध्यप्रदेश में गाए जाने वाले "राई" गीतों के माध्यम से महिलाएं अपने अधिकारों और समस्याओं को अभिव्यक्त करती हैं।


6. मनोरंजन का साधन

लोक संगीत का एक प्रमुख उद्देश्य हमेशा से मनोरंजन रहा है। यह न केवल समुदायों को जोड़ता है, बल्कि उन्हें उनके रोजमर्रा के तनावों से भी राहत प्रदान करता है। उत्सवों, शादियों और मेलों में लोक गीतों का महत्वपूर्ण स्थान होता है, जहाँ लोग नाचते-गाते हैं और जीवन की खुशियों का आनंद लेते हैं।


7. आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव

लोक संगीत का प्रभाव न केवल सांस्कृतिक, बल्कि आर्थिक भी है। कई लोक कलाकार अपने संगीत के माध्यम से जीवन यापन करते हैं। इसके अलावा, लोक संगीत से संबंधित उत्सव और पर्यटन भी उन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में योगदान करते हैं जहाँ इस संगीत की परंपरा प्रचलित है।


निष्कर्ष

भारतीय लोक संगीत न केवल समाज की संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि यह विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने और सामूहिकता का निर्माण करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज भी, लोक संगीत भारतीय समाज की आत्मा के रूप में जीवंत है और इसे संरक्षित करना हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने के समान है।

संगीत जगत ई-जर्नल आपके लिए ऐसी कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ लेके आ रहा है। हमसे फ्री में जुड़ने के लिए नीचे दिए गए सोशल मीडिया बटन पर क्लिक करके अभी जॉईन कीजिए।

संगीत की हर परीक्षा में आनेवाले महत्वपूर्ण विषयोंका विस्तृत विवेचन
WhatsApp GroupJoin Now
Telegram GroupJoin Now
Please Follow on FacebookFacebook
Please Follow on InstagramInstagram
Please Subscribe on YouTubeYouTube
Tags

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top