कला के उद्देश्य
भाग - २
5) कला और विरेचन- अरस्तू ने सर्वप्रथम 'विरेचन' शब्द का प्रयोग किया। विरेचन शब्द चिकित्सा शास्त्र से सम्बन्धित है। प्लैंटो ने आक्षेप लगाया कि "कलाओं द्वारा हमारी दूषित बासनाएँ और मनोवृत्तियाँ उत्तेजित व पुष्ट होती हैं। अरस्तू ने इस मत का खण्डन किया और कहा- "कला व साहित्य के द्वारा हमारे दूषित मनोविकारों का उचित रूप में 'विरेचन' अर्थात् 'शुद्धि' या 'निष्कासन' हो जाता है।" कला का प्रयोजन उन मनो- वृत्तियों को शुद्ध करना है, न कि उन्हें बलवति करना ।
(6) कला और संप्रेषण- इस मत के प्रतिपादक आई. ए. रिचङ्स हैं। कलाओं का संबंध कलाकृति की संप्रेषण क्रिया और उसके मूल्य से विशेष रूप से रहता है। रिचड्स के अनुसार "Arts are the supreme form of the communicative activity." संप्रेषण का अर्थ है, दृष्टा अथवा श्रोता का कलाकार के भाव व कृति से प्रभावित होना। यदि कला का लक्ष्य संप्रेषण न होता, कलाकार कोई भी कृति किसी के समक्ष न लाता, उसे नष्ट कर देता। कलाकार कलना द्वारा अपनी कृति को अधिकाधिक संप्रेषणीय बनाता है।
(7) कला, आनन्द के लिए कला का एक लक्ष्य है कि वह कलाकार तथा दृष्टा-श्रोता को ग्रानन्दानुभूति अथवा रसानुभूति कराए। यह आनन्द होता है, जिसे ब्रह्मानंद कहा गया है। इसीलिए कला का सौन्दर्यमयी होना आवश्यक है।
(8) कला, मनोरंजन के लिए लौकिक आनन्द अर्थात् मनोरंजन भी कला का एक प्रयोजन है। संगीत, काव्य, चित्रकला अथवा मूर्ति निर्माण के समय कलाकार मानसिक तनाव तथा थकान से मुक्ति पाता है। दृष्टा व श्रोता भी इन कलाओं द्वारा अपनी थकान मिटाकर इन कलाओं द्वारा अपना मनोरंजन करते हैं।
(9) फला, सूजन की अदम्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ व्यक्तियों में कलात्मक प्रवृत्ति ईश्वरीय देन के रूप में होती है। उनके भाव इतने प्रबल होते हैं कि वे उनकी अभिव्यक्ति के लिए छटपटाते हैं, तब वे अपनी योग्यता, भावों को कला के रूप में व्यक्त करते हैं। बहुत छोटी उम्र के बच्चे जब सुन्दर चित्र बनाते हैं अथवा अच्छी कविता कर लेते हैं, वे इसी श्रेणी में आते हैं।
(10) कला, सेवा के लिए कला की सार्थकता इसमें भी है कि वह किसी-न-किसी रूप में समाज व व्यक्ति के लिए कल्याणकारी हो। कला को हमेशा से एक सन्देशवाहिका के रूप में प्रयोग में लाया गया है। भवन निर्माण रहने के लिए उपयोगी है तो चित्रकला व काव्य द्वारा समाज सुधार, बुराइयों के कुप्रभाव आदि दिखाकर समाज को दिशादान कर अच्छाइयों की ओर प्रेरित किया जा सकता है। राष्ट्रीय एकता व नैतिकता का सन्देश भी दिया जाता है। संगीत द्वारा मनोरोगों की चिकित्सा की जाती है। अतः किसी-न-किसी रूप में कला को व्यक्ति के लिए कल्याणकारी व उपयोगी होना चाहिए ।