संगीत साधना करने के कुछ सूत्र
1.संगीत सीखने का सबसे पहला पाठ और रियाज़ ओंकार का है । ३ महीनो तक आप रोज़ सुबह कम से कम ३० मिनट 'सा' के स्वर में ओंकार का लगातार अभ्यास करें ।
2.अगर आप और समय दे सकते हैं तो ओंकार रियाज़ करने के बाद 5 मिनट आराम कर के, सरगम आरोह अवरोह का धीमी गति में ३० मिनट तक रियाज़ करें. जल्दबाजी नहीं करें ।
3.सरगम का रियाज़ करते समय स्वर ठीक से लगाने का पूरा ध्यान रखें । अगर स्वर ठीक से नहीं लग रहा है तो बार बार कोशिश करें । संगीत अभ्यास में लगन की जरूरत होती है और शुरुआत में बहुत धीरज और इत्मीनान चाहिए ।
4.रियाज़ में खरज का रियाज़ सबसे अच्छा माना जाता है । खरज का रियाज़ करने से गायकी में गहराई और ऊंचे स्वर लगाने की काबलियत आती है । खरज के सुर लगाना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन अगर खरज का रियाज़ सुबह ५ से ६ बजे के बीच में किया जाये तो आसानी से हो जाता है । एक अच्छे गायक के लिए सारे सप्तकों में गा पाना महत्वपूर्ण है और ऐसा कर पाने के लिए खरज का रियाज़ ही एक मात्र अभ्यास है । इसे मन लगा कर, रोज एक अनुशासन के साथ, साधना की तरह करना चाहिए ।
5.संगीत भगवान की देन मानी जाती है और ऐसा सोचा जाता है कि जिसपे भगवान की कृपा होती है, वही गा सकता है । परन्तु ईश्वर ने सबको अपनी कर्मठता से अपने सपने साकार करने की शक्ति दी है । अगर आपका गला और आवाज़ साधारण भी है, तो भी जबरदस्त रियाज़ करके आप अपनी आवाज़ में न सिर्फ नयी जान ला सकते है बल्कि संगीत की बुलंदियों को छू सकते हैं ।
6.कई बार संगीत सीखते समय लोग पूछते हैं कि कितना रियाज़ करना पड़ेगा और कब तक । एक सच्चे संगीत सीखने वाले के लिए रियाज़ कभी ख़त्म नहीं होता और कितना भी रियाज़ ज्यादा नहीं होता। यह सदी दर सदी से चली आ रही सच्चाई है । जब तक आपको गाने में मेहनत पड़ रही है; जब तक बहुत कोशिश करनी पड़ रही है तब तक आपको सिर्फ और सिर्फ रियाज़ करना चाहिए; गाने और रागों के पीछे नहीं भागना चाहिए । जब आपकी सरगम आरोह-अवरोह में सहजता आ जाये और स्वर के बारे में सोचने भर से आप एक बार में सही स्वर लगा सकते हैं, बिना किसी सहायता के, तब आप समझिये कि अब आप संगीत के अगले चरण, रागों की दुनिया में क़दम रख सकते हैं ।
7.रियाज़ करते समय आपकी चार प्रकार से तैयारी होती है ।
एक - आपकी साँस की शक्ति और नियंत्रण स्थिर होते हैं।
दो - आपके गले की पेशियाँ गायकी के उतार चढ़ाव के तनाव को सहजता से झेलने के लिए तैयार होती हैं ।
तीन - आपके कान और दिमाग स्वर को स्वतः प्राकृतिक रूप से पकड़ पाने में समर्थ होते है ।
और
चार - आपका मन और आंतरिक सोच गायकी के लिए जरूरी धैर्य, एकाग्रचित्तता, पवित्रता और सकारात्मकता लाती है ।
अच्छा गायक बनाने के लिए इन चारों ही प्रकार से अपने आप को विकसित करना जरूरी है ।
8.अगर आप रोजाना समय लगा कर कड़ा रियाज़ कर रहे हैं तो 10 -15 दिन के लगातार रियाज़ करने के बाद 1 दिन का विश्राम ले सकते हैं । इससे आपके शरीर में उभरे सभी प्रकार के तनाव गायब हो जातें हैं और आप गायकी के रियाज़ की मेहनत जारी रखने के लिए फिर से, पहले से भी ज्यादा मजबूती से तैयार हो जाते हैं ।
9.रियाज़ में जितना खुद अभ्यास करने की मान्यता है, उतना ही अच्छे संगीत को सुनाने की भी महत्ता है । इसलिए, जितना हो सके अच्छे अच्छे शास्त्रीय संगीत के गायकों को सुनें, चाहे इंटरनेट पे सुने, या CD में सुनें । संगीत को सुनने और उसको मन में ढालने से आपकी सोच तैयार होती है ।
10.रियाज़ में अपनी शारीरिक क्षमता को सम्पूर्ण रूप से तैयार करने के लिए एक और राज़ -
रोजाना कम से कम ३० मिनट प्राणायाम, अगर आप कर सकें । गाते समय अलग अलग सप्तक शरीर के चार अलग अलग भाग पर जोर डालते है - पेट, फेफड़े, गला और सर का ऊपरी हिस्सा । अगर आप रोजाना भस्त्रिका, भ्रामरी और कपालभाती करें तो अपने आप में चमत्कारी परिवर्तन महसूस कर सकते हैं । एक सिर्फ कहने की बात नहीं है, खुद करके देखिये, चमत्कार जरूर होगा ।
11.एक आखिरी बात ।
इस बात का ध्यान रखें की रियाज़ करने के लिए आपने अपनी दिनचर्या को बहुत कष्टकारी, तनावपूर्ण और असहज न बना दिया हो । ऐसा कर के रियाज़ करने से सफलता नहीं मिलती इसलिए ये बहुत जरूरी है कि आप संगीत सीखने के साथ साथ जीवन में बाकी चीजों के साथ संतुलन और सहजता बनाये रखें ।
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वा खूप छान माहिती होती ही मी पूर्ण वाचलं खूप काही गोष्टी शिकायला भेटल्या धन्यवाद दादा...
ReplyDeleteखूपच छान माहिती आहे
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