आयुर्वेद: भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति

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 🪔 आयुर्वेद: भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति


भारतवर्ष की संस्कृति और परंपराओं में आयुर्वेद का विशेष स्थान है। यह केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक संपूर्ण कला है। संस्कृत में "आयुः" का अर्थ होता है जीवन और "वेद" का अर्थ है ज्ञान। इस प्रकार "आयुर्वेद" का शाब्दिक अर्थ है — जीवन का ज्ञान।


🌿 आयुर्वेद का इतिहास

आयुर्वेद की उत्पत्ति वैदिक काल में मानी जाती है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद जैसे ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इसके प्रमुख ग्रंथ हैं — चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय। चरक को आंतरिक चिकित्सा का जनक और सुश्रुत को शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का प्रवर्तक माना जाता है।


🌿 आयुर्वेद के मुख्य सिद्धांत


1. त्रिदोष सिद्धांत – वात, पित्त और कफ

आयुर्वेद के अनुसार, मानव शरीर तीन दोषों (ऊर्जाओं) से संचालित होता है – वात (वायु), पित्त (अग्नि) और कफ (जल)। इनका संतुलन ही स्वास्थ्य का मूल है।



2. पंचमहाभूत सिद्धांत – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश

शरीर और ब्रह्मांड इन्हीं पाँच तत्वों से बने हैं। आयुर्वेद इनका संतुलन बनाए रखने पर ज़ोर देता है।



3. आहार और दिनचर्या

आयुर्वेद में भोजन को औषधि कहा गया है। यह ऋतु, प्रकृति और पाचनशक्ति के अनुसार होना चाहिए। साथ ही, दिनचर्या (दिन का नियमित क्रम) और ऋतुचर्या (मौसम के अनुसार दिनचर्या) पर भी विशेष बल दिया गया है।




🌿 आयुर्वेदिक चिकित्सा की विधियाँ


हर्बल उपचार: औषधीय पौधों से निर्मित दवाइयाँ


पंचकर्म: शरीर शुद्ध करने की पाँच प्रक्रियाएँ


योग और ध्यान: मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए


मसाज (अभ्यंग), शिरोधारा, वस्ती इत्यादि उपचार विधियाँ



🌿 आधुनिक युग में आयुर्वेद का महत्त्व

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, तनाव और अस्वस्थ जीवनशैली के चलते लोग फिर से आयुर्वेद की ओर लौट रहे हैं। इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण, प्राकृतिक उपचार और समग्र जीवन शैली ने इसे वैश्विक मान्यता दिलाई है।


भारत सरकार द्वारा "आयुष मंत्रालय" की स्थापना और "आयुर्वेद दिवस" जैसे आयोजन इसकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण हैं।


🌿 निष्कर्ष

आयुर्वेद केवल रोगों की चिकित्सा नहीं करता, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में कार्य करता है। यह भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन है, जिसे अपनाकर हम एक स्वस्थ, संतुलित और सुखी जीवन जी सकते हैं।


🪔 “स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं।”

(स्वस्थ व्यक्ति का स्वास्थ्य बनाए रखना और रोगी का उपचार करना ही आयुर्वेद का उद्देश्य है।)

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