भारतीय संगीत के स्वर और उनकी आवृत्तियाँ

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🎶 भारतीय संगीत के स्वर और उनकी आवृत्तियाँ – सुरों का वैज्ञानिक रहस्य

भारतीय शास्त्रीय संगीत केवल भावनाओं का नहीं, बल्कि विज्ञान का भी विषय है। जहाँ एक ओर सुरों की मधुरता मन को छू जाती है, वहीं दूसरी ओर हर सुर एक विशिष्ट ध्वनि तरंग (frequency) पर आधारित होता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि सा, रे, गा, मा, पा, धा, नि सिर्फ नाम नहीं हैं — बल्कि ये स्वर ध्वनि की निश्चित आवृत्तियों (frequencies) पर आधारित होते हैं?

आइए इस ब्लॉग में जानें कि ये सुर क्या हैं, उनकी आवृत्तियाँ क्या होती हैं, और भारतीय संगीत में इनका क्या महत्व है।


🎼 सात मूल स्वर – सा, रे, गा, मा, पा, धा, नि

भारतीय संगीत में सात मूल स्वर होते हैं जिन्हें मिलाकर सप्तक (Octave) कहा जाता है:

हिंदी नामअंग्रेज़ी नामस्वर का प्रकार
सा (षड्ज)Cअचल (स्थिर)
रे (ऋषभ)Dचल (बदलने योग्य)
गा (गान्धार)Eचल
मा (मध्यम)Fचल
पा (पंचम)Gअचल
धा (धैवत)Aचल
नि (निषाद)Bचल

👉 अचल स्वर – सा और पा कभी नहीं बदलते
👉 चल स्वर – रे, गा, मा, धा, नि अपने कोमल/तीव्र रूप में बदल सकते हैं


📡 सुरों की आवृत्तियाँ (Frequencies of Notes)

ध्वनि की आवृत्ति को हर्ट्ज़ (Hz) में मापा जाता है। मान लीजिए, आप किसी सा को 240 Hz पर गा रहे हैं, तो बाकी सुरों की आवृत्तियाँ उस आधार पर निर्धारित होती हैं।

एक उदाहरण (सा = 240 Hz के आधार पर):

स्वरआवृत्ति (Hz)
सा (Shadja)240
रे (Shuddh)270
गा (Shuddh)300
मा (Shuddh)320
पा (Pancham)360
धा (Shuddh)400
नि (Shuddh)450
सा (ऊपर का)480

👉 ये अनुपात पायथागोरस स्केल और संपूर्ण अनुपातों (Just Intonation) पर आधारित होते हैं, जो भारतीय रागों की आत्मा को संजोते हैं।


🎵 क्यों महत्वपूर्ण हैं ये आवृत्तियाँ?

  • सुनने में सामंजस्य: सही आवृत्तियों पर गाए गए सुर श्रोता को आनंद और शांति का अनुभव कराते हैं।

  • राग की पहचान: हर राग में स्वर विशेष ढंग से प्रयुक्त होते हैं, जिनकी आवृत्तियाँ राग की आत्मा तय करती हैं।

  • तानपुरा और हार्मोनियम को इन्हीं आवृत्तियों के अनुसार मिलाया जाता है।


🎙️ क्या एक ही सा सबके लिए एक जैसा होता है?

नहीं! भारतीय संगीत में सा (शुरुआती स्वर) हर गायक/वादक अपने स्वर के अनुसार चुनता है। कोई 240 Hz पर गाता है, तो कोई 260 या 220 Hz पर। इसको ही अधिष्ठान सा कहा जाता है।


📚 निष्कर्ष

भारतीय संगीत का सौंदर्य सिर्फ उसकी भावनात्मक गहराई में नहीं, बल्कि उसकी वैज्ञानिक संरचना में भी है।
हर स्वर एक कम्पन है, एक ऊर्जा है, जो श्रोता और गायक दोनों को जोड़ता है।

👉 अगली बार जब आप "सा रे गा मा" गाएँ, तो याद रखें — आप सिर्फ सुर नहीं गा रहे, बल्कि ब्रह्मांड की ध्वनि तरंगों से संवाद कर रहे हैं।


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