राग कलावती

0

 
राग-कलावती

राग कलावती


       राग कलावती हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में खमाज थाट से संबंधित एक मधुर और सरल राग है। इस राग में रिषभ (रे) और मध्यम (म) स्वर वर्जित हैं, जबकि निषाद (नि) कोमल और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं। इस प्रकार, इसकी जाति औड़व-औड़व (पांच-पांच स्वरों का प्रयोग) है। 

मुख्य विशेषताएं:

थाट: खमाज

जाति: औड़व-औड़व

वादी स्वर: पंचम (प)

संवादी स्वर: षड्ज (सा)

गायन समय: मध्य रात्रि

स्वर संरचना:

आरोह: सा ग प ध नि¹ सा'

अवरोह: सा' नि¹ ध प ग प ग सा ; ,नि¹ ,ध सा

पकड़: सा ग प ध ; प ध नि¹ ध ; ध प ; ग प ध सा' नि¹ ; ध नि¹ सा' ; नि¹ प ; ध ग ; प ग सा ; ,नि¹ ,ध सा

विशेष स्वर संगति:

राग कलावती में पूर्वांग में रिषभ और मध्यम के वर्जित होने से अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। स्वर संगतियाँ जैसे 'सा ग प ध', 'प ध नि¹ ध', 'ध प', 'ग प ध सा' नि¹', 'ध नि¹ सा'', 'नि¹ प', 'ध ग', 'प ग सा', ',नि¹ ,ध सा' राग का रूप दर्शाती हैं। 

सावधानियां:

राग कलावती में रिषभ और मध्यम स्वर का प्रयोग नहीं किया जाता है, इसलिए इन स्वरों का अनावश्यक प्रयोग राग की शुद्धता को प्रभावित कर सकता है। साथ ही, कोमल निषाद का सही प्रयोग राग की भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

बंदिश उदाहरण:

राग कलावती में एक प्रसिद्ध बंदिश है 'पिया घर आए ना'। यह बंदिश एकताल विलंबित में निबद्ध है और विरह रस को व्यक्त करती है। इस बंदिश में स्थायी और अंतरा दोनों शामिल हैं, जो राग की सुंदरता को प्रकट करते हैं। 


संगीत जगत ई-जर्नल आपके लिए ऐसी कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ लेके आ रहा है। हमसे फ्री में जुड़ने के लिए नीचे दिए गए सोशल मीडिया बटन पर क्लिक करके अभी जॉईन कीजिए।

संगीत की हर परीक्षा में आनेवाले महत्वपूर्ण विषयोंका विस्तृत विवेचन
WhatsApp GroupJoin Now
Telegram GroupJoin Now
Please Follow on FacebookFacebook
Please Follow on InstagramInstagram
Please Subscribe on YouTubeYouTube

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top