मोहन वीणा: भारतीय संगीत का अनमोल रत्न

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मोहन वीणा: भारतीय संगीत का अनमोल रत्न

परिचय

मोहन वीणा भारतीय संगीत का एक अनूठा वाद्ययंत्र है, जो सितार, सरोद और गिटार का संगम है। इसे सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पं. विश्व मोहन भट्ट ने विकसित किया और इसी कारण इसका नाम "मोहन वीणा" पड़ा। यह वाद्ययंत्र शास्त्रीय संगीत, फ्यूजन, और विश्व संगीत में अपनी अद्वितीय ध्वनि के कारण लोकप्रिय है।

मोहन वीणा की संरचना

मोहन वीणा दिखने में हवाईयन गिटार जैसी होती है, लेकिन इसमें 20 तार होते हैं—6 मुख्य, 3 सहायक और 11 तरंगित तार। यह गिटार के समान स्लाइडिंग तकनीक से बजाई जाती है और इसमें मींड (स्वरों का लहराता प्रभाव) का विशेष महत्व होता है।

विशेषताएँ और ध्वनि की अनूठीता

  • मोहन वीणा में भारतीय शास्त्रीय संगीत की भावनात्मक गहराई और पश्चिमी संगीत की आधुनिकता का संगम होता है।
  • इसकी ध्वनि गहरी, मधुर और आत्मीय होती है, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती है।
  • यह रागों को विस्तार देने और भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए उपयुक्त है।

पं. विश्व मोहन भट्ट और मोहन वीणा का वैश्विक प्रभाव

पं. विश्व मोहन भट्ट ने अपने अनूठे वादन के कारण इस वाद्ययंत्र को विश्व भर में प्रसिद्ध किया। उन्होंने 1994 में ग्रैमी अवॉर्ड जीतकर भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया। उनके प्रयासों से मोहन वीणा आज भारतीय संगीत का एक प्रतिष्ठित अंग बन गई है।


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