परिभाषाएं
आरोह (Aaroh)
आरोह का अर्थ है स्वरों का क्रम ऊपर की ओर चढ़ना। जब किसी राग में स्वरों को क्रमशः नीचे से ऊपर की दिशा में गाया या बजाया जाता है, उसे आरोह कहते हैं। जैसे, सा रे ग म प ध नि सा।
अवरोह (Avaroh)
अवरोह का अर्थ है स्वरों का क्रम नीचे की ओर उतरना। जब किसी राग में स्वरों को क्रमशः ऊपर से नीचे की दिशा में गाया या बजाया जाता है, उसे अवरोह कहते हैं। जैसे, सा नि ध प म ग रे सा।
कोमल स्वर (Komal Swar)
वे स्वर जो अपनी सामान्य ध्वनि से एक स्वर नीचे गाए या बजाए जाते हैं, उन्हें कोमल स्वर कहते हैं। सप्तक में रे, ग, ध, और नि स्वर कोमल हो सकते हैं। कोमल स्वरों का उपयोग संगीत में कोमलता और सौंदर्य बढ़ाने के लिए किया जाता है।
सप्तक (Saptak)
सप्तक का अर्थ है सात स्वरों का समूह। भारतीय संगीत में मुख्यतः तीन प्रकार के सप्तक होते हैं:
- मंद्र सप्तक - सबसे निचली ध्वनि का सप्तक।
- मध्य सप्तक - सामान्य आवाज का सप्तक।
- तार सप्तक - सबसे ऊंची ध्वनि का सप्तक।
तीव्र स्वर (Teevra Swar)
वे स्वर जो अपनी सामान्य ध्वनि से एक स्वर ऊपर गाए या बजाए जाते हैं, उन्हें तीव्र स्वर कहते हैं। सप्तक में केवल म स्वर तीव्र हो सकता है। तीव्र स्वर गाते समय ध्वनि अधिक चमकदार और स्पष्ट होती है।
सम (Sam)
ताल के पहले मात्रा को सम कहते हैं। यह ताल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। सम पर गीत का आरंभ और समापन होता है। इसे विशेष रूप से ताली द्वारा व्यक्त किया जाता है।
ताली (Tali)
ताल में विभिन्न मात्राओं पर पड़ने वाले मुख्य और उच्चारणीय हिस्सों को ताली कहते हैं। यह ताल का वह भाग है जो लय को प्रकट करता है और दर्शकों को उत्साहित करता है। उदाहरण के लिए, तीन ताल में 16 मात्राओं पर तीन ताली होती हैं।