वायोलिन (बेला) : संपूर्ण जाणकारी

0

वायोलिन

 वायोलिन (बेला)


वायोलिन (Violin) या बेला एक विदेशी वाद्य है। वाद्यों में आजकल इसे प्रतिष्ठा की दृष्टि से देखा जाता है। आविष्कार के बारे में विभिन्न मत पाये जाते हैं। गज से बजने इस यन्त्र की समस्त उत्पत्ति और जो लोग इसे विदेशी वाद्य मानते हैं उनके मतानुसार इसका आविष्कार यूरोप में १६ वीं शताब्दी के मध्य में हुआ और तभी से यह प्रचलित है।एकमत के अनुमार 'बेला' को मूल रूप में भारतीय यंत्र कहा जाता है। इस मत के अनुयाइयों का कहना है कि लंकापति रावण ने एक तार वाला एक ईजाद किया, उसे गज में ही बजाया जाता था और उमका नाम "रावण स्त्रम" रखा गया। इसके पञ्चात् ११ वीं शताब्दी के अन्त में भारतवर्ष होकर परशीया, अरेबिया, तथा स्पेन होता हुआ यह यन्त्र यूरोप पहुंचा, यहा पर इसमें परिवर्तन करके, वर्तमान वायोलिन के रूप में विकास किया गया।


            एक पाश्चात्य विद्वान के मतानुमार ५०० वर्ष पहिले योरोप में (Voil) वॉइल नामक एक बाद्य यन्त्र का आविष्कार हुआ, जिसका प्रचार सोहलवी शताब्दी के उत्तरार्ध तक रहा। बाद में इसी वॉइल यन्त्र के ढंग पर वायोलिन बनाया गया। एक और मतानुमार १५६३ इ में वेनिस नगर के एक ग्रामीण 'लीनारोली' ने "टेनर वॉयोलिन" का आविष्कार किया था, उसी के आधार पर इटली के कलाकारों ने इसमें कुछ और विशेषताऐ सम्मिलित करके इसे नया रूप दिया। कोई-कोई इसे जरमनी करा आविष्कार भी बताते हैं। इस प्रकार बेला के संबंध में अनेक धाराणाएं पाई जाती हैं। कुछ भी सही यह तो मानना ही पड़ेगा कि अपने आधुनिक रूप में यह पूर्णरूपेण एक विदेशी वाद्य है। भारत में इसका प्रचार दिना दिन बढ रहा है और अच्छे बेला वादक भी अब होगये है।


बेला के विभिन्न भाग


बेला के मुख्य ६ भाग होते है-


(१) बॉडी (Body) - इसे बेला का शरीर समझिये, अन्दर से पोला होने के कारण इममें आवाज गुंजती रहती है इसे बेली भी कहते हैं।


(२) फिंगर बोर्ड (Finger board)- इस पर अंगुलिया की सहायता से स्वर निकाले जाते हैं।



(३) टेलपीस (Tail Piece) - यह भाग है, जिसमे चार मुराख होते हैं, इन चारों मुराख में होकर ४ तार खुटिया तक जाते है।


(४) एण्डपिन (End Pin) - इसमें टेलपीन तात के द्वारा फसा रहता है।


(५) ब्रिज (Bridge)-इसके ऊपर होकर तार खुटिया की ओर जाते हैं।


(६) साउन्डपोस्ट ( Sound Post) -यह बेला के अन्दर, ब्रिज के ठीक नीचे लगा रहता है।


गज (Bow) और उसके भाग


बेला जिस छडी मे बजाया जाता है उसे "बो" कहते हैं, इसके ४ भाग होते हैं 一 (१) गज की छडी (Stick) (२) बाल (Hair) जो कि इस छडी में कसे रहते हैं (३) स्क्रू (Screw ) इस प्रकार का पेच जिसे उल्टा या सीधा कसने से बो (गज)के बाल तनते हैं या ढीले होते हैं। (४) नट (Nut) इसमें बाल फंसे रहते हैं और जब पेच घुमाया जाता है तो यह सरकने लगता है, (५) हेड- यह 'बौ' का अन्तिम सिरा है।


रेज़न (Resins)


यह एक प्रकार का बिरोज्जा होता है, इस पर बो  के बाल घिसकर तब बेला बजाते हैं, इससे आवाज स्पष्ट और सुन्दर निकलती है।


बेला के ४ तार और उन्हें मिलाने की पद्धति


बेला में कुल चार तार होते हैं जो क्रमशः G D A E कहलाते हैं, इनको मिलाने के ढंग कई प्रकार के हैं।


प्रथम प्रकार-१ सा प सां इस प्रकार मिलाते हैं यानी मन्द्र सप्तक का पंचम, मध्य सप्तक का षडज, मध्य सप्तक का पंचम और तार सप्तक का षडज ।


दूसरा प्रकार-सा प सा प इस तरह मिलाते है यानी पहिले दोनों मन्द्र सप्तक के षडज पंचम में और बाकी २ मध्य सप्तक के षडज पंचम में ।


तीसरा प्रकार - म सा प रें इस प्रकार मिलाते हैं। भारतवर्ष में अधिकतर यह तीसरा प्रकार ही प्रचलित है।


संगीत जगत ई-जर्नल आपके लिए ऐसी कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ लेके आ रहा है। हमसे फ्री में जुड़ने के लिए नीचे दिए गए सोशल मीडिया बटन पर क्लिक करके अभी जॉईन कीजिए।

संगीत की हर परीक्षा में आनेवाले महत्वपूर्ण विषयोंका विस्तृत विवेचन
WhatsApp GroupJoin Now
Telegram GroupJoin Now
Please Follow on FacebookFacebook
Please Follow on InstagramInstagram
Please Subscribe on YouTubeYouTube

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top